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Avnish Jain | Oct 31, 2023 | Travelling Destinations
आओ कहीं घूम आये....
हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित भारत के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। पवित्रा गंगा नदी के किनारे बसे हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ है हरि तक पहुंचने का द्वार। यह शहर पश्चिमोत्तर उत्तरांचल राज्य, उत्तरी भारत में स्थित है। हरिद्वार को धर्म की नगरी माना जाता है। सैकड़ों वर्षों से लोग मोक्ष की तलाश में इस पवित्र भूमि में आते रहे हैं। इस शहर की पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने और अपने पापों का नाश करने के लिए वर्ष भर श्रद्धालुओ का आना-जाना यहां लगा रहता है। गंगा नदी पहाड़ी इलाकों को पीछे छोड़ती हुई हरिद्वार से ही मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है।
उत्तराखंड क्षेत्र के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार हरिद्वार ही है। संपूर्ण हरिद्वार में सिद्धपीठ शक्तिपीठ और अनेक नए पुराने मंदिर बने हुए हैं। हरिद्वार शिवालिक पहाड़ियों के कोड में बसा हुआ हिन्दु धर्म के अनुयायियों का प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थान है। यहाँ पहाड़ियों से निकल कर भागीरथी गंगा पहली बार मैदानी क्षेत्र में आती है। गंगा के उत्तरी भाग में बसे हुए बद्रीनारायण तथा केदारनाथ नामक भगवान विष्णु और शिव के प्रसिद्ध तीर्थों के लिये इसी स्थान से मार्ग जाता है। इसीलिए इसे हरिद्वार तथा हरद्वार दोनों ही नामों से अभिहित किया जाता है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम माया या मायापुरी था, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी। हरिद्वार का एक भाग आज भी मायापुरी नाम से प्रसिद्ध है। महाभारत में हरिद्वार को गंगा द्वार कहा गया है। हरिद्वार को सदा से ही ऋषियों की तपोभूमि माना जाता रहा है। कहा जाता है कि स्वर्गारोहण से पूर्व देवी लक्ष्मी ने लक्ष्मण झूला स्थान के निकट तपस्या की थी। कहा जाता है। कि समुद्र मंथन से प्राप्त किया गया अमृत यहां गिरा था। इसी कारण यहां कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है। बारह वर्ष में आयोजित होने वाले कुंभ के मेले का यह महत्वपूर्ण स्थल है। हरिद्वार में ही राजा ध्रतराष्ट्र के मंत्री विदुर ने मेत्री मुनि के यहां अध्ययन किया था। कपिल मुनि ने भी यहां तपस्या की थी। इस स्थान को कपिलास्थन भी कहा जाता है। कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी में भगवान ब्रह्मा की पूजा की थी। राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने जब वरदान मांगने को कहा तो राजा ने वरदान मांगा कि इस स्थान को ईश्वर के नाम से जाना जाए। तब से हर की पौड़ी के जल को ब्रह्म कुण्ड के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक स्थल हर की पौड़ी भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है। कहा जाता है कि यह घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था। इस घाट को ब्रह्मकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो गंगा स्थान को ही मोक्ष देने वाला माना जाता है लेकिन किंवदन्ती है कि हर की पौड़ी में स्नान करने से जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं। शाम के वक्त यहां महाआरती आयोजित की जाती है। गंगा नदी में बहते असंख्य सुनहरे दीपों की आभा यहां बेहद आर्कषक लगती है। पानी में दिखाई देती दीयों की रोशनी हजारों टिमटिमाते तारों की तरह लगती है। हरिद्वार में बहुत सारे मंदिर और आश्रम हैं। मनसा देवी का मंदिर हर की पौड़ी के पीछे के बलवा पर्वत की चोटी पर बना है। मंदिर जाने के लिए पैदल रास्ता है। मंदिर जाने के लिए रोप वे भी है। पहाड़ की चोटी से हरिद्वार का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। चंडी देवी मंदिर गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह मंदिर बना हुआ है।
हरिद्वार में भगवती की नाभि गिरी थी, इसलिए इस स्थान को ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। हरिद्वार की रक्षा के लिए एक अद्भूत त्रिकोण विद्यमान है। इस त्रिकोण के दो बिंदु पर्वतों पर मां मनसा और मां चंडी रक्षा कवच के रूप में स्थित हैं तो वहीं त्रिकोण का शिखर धरती की ओर है और उसी अधोमुख शिखर पर भगवती माया आसीन हैं। सप्तऋषि आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है इसलिए इस स्थान को सप्त सागर भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहां सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विघ्न नहीं डाला और स्वयं को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे सप्त सागर भी कहा जाता है। दक्ष महादेव मंदिर नगर के दक्षिण में स्थित है। सती के पिता राजा दक्ष की याद में यह मंदिर बनवाया गया है। किवदंतियों के अनुसार सती के पिता राजा दक्ष ने यहां एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। यज्ञ मे उन्होंने शिव को आमंत्रित नहीं किया।अपने पति का अपमान देख सती ने यज्ञ कुण्ड में आत्मदाह कर लिया। इससे शिव के अनुयायी गण उत्तेजित हो गए और दक्ष को मार डाला। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
राजाजी नेशनल पार्क
प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार में राजाजी नेशनल पार्क के अन्तर्गत यह अभ्यारण आता है जो लगभग 240 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां 23 स्तनपायी और 315 वन्य जीवों की प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां हाथी, टाइगर, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, सांभर, चीतल आदि जानवर हैं। अनुमति लेकर यहां फिशिंग का भी आनंद लिया जा सकता है।
गर्मियों में गर्मी एवं सर्दियों में अत्यधिक ठंड पड़ती है और मानसून में वातावरण में आद्रता होती है। हरिद्वार में भ्रमण के लिये मानसून अच्छा समय नहीं है क्योंकि इस दौरान मौसम बहुत असुविधाजनक होता है। हरिद्वार में भ्रमण करने के लिए सितम्बर से लेकर जून की बीच का समय सबसे उपयुक्त है क्योंकि इस समय यहां मौसम सुहावना होता है।
यात्री वायुमार्ग, रेलमार्ग या सड़क मार्ग द्वारा हरिद्वार पहुंच सकते हैं। इस स्थान का सबसे निकटतम घरेलू हवाई अडडा जॉली ग्रांट हवाईअड्डा है, जो लगभग 20 किमी दूर स्थित है। यह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से भी नियमित उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है। सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है, जो भारत के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। देश के विभि़न्न भागों से बसों द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा नई दिल्ली से हरिद्वार के लिए नियमित अंतराल पर बसें भी उपलब्ध हैं। चाहें तो निजी वाहन से भी जा सकते हैं।